वक़्त जाया किया सोचते सोचते…
वक़्त जाया किया सोचते सोचते |
कुछ नहीं कर सका सोचते सोचते ||
मेरी मंजिल किनारे पे हँसती रही |
मैं भँवर में फँसा सोचते सोचते ||
राह सुनसान है और जंगल घने |
और मैं चल रहा सोचते सोचते ||
पास आने में वो हिचकिचाते रहे |
मैं भी आगे बढ़ा सोचते सोचते ||
मैंने दी जो बधाई उसे ईद की |
उसने भी कुछ कहा सोचते सोचते ||
मेरे दिल पे उसे लिखना था ख़ुद का नाम |
नाम मेरा लिखा सोचते सोचते ||
सब तो जाने कहाँ से कहाँ जा चुके |
और मैं रह गया सोचते सोचते ||
ज़िन्दगी की ग़ज़ल तो अधूरी रही |
इक सही क़ाफ़िया सोचते सोचते ||
लोग पढ़ – पढ़ के सारे परेशान हैं |
मैंने क्या लिख दिया सोचते सोचते ||
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